मुक्तक
कभी टूटते ख्वाहिशों को देखते हैं,
कभी जिन्दगी के तार जोड़ते हैं,
क्या बतायें हम दिल के फसाने,
कहाँ कहाँ के दर्द में पैबन्द जोड़ते हैं।
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”…
कभी टूटते ख्वाहिशों को देखते हैं,
कभी जिन्दगी के तार जोड़ते हैं,
क्या बतायें हम दिल के फसाने,
कहाँ कहाँ के दर्द में पैबन्द जोड़ते हैं।
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”…