मुक्तक
ठहरो अभी कुछ दर्द सीने बाकी हैं,
ज़िन्दगी में कुछ अश्क पीने बाकी है,
छू लो ज़रा आँखों से ये रिसते हुए ज़ख्म,
कि तमाम उम्र के शौक जीने अभी बाकी हैं।
© डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद”…
ठहरो अभी कुछ दर्द सीने बाकी हैं,
ज़िन्दगी में कुछ अश्क पीने बाकी है,
छू लो ज़रा आँखों से ये रिसते हुए ज़ख्म,
कि तमाम उम्र के शौक जीने अभी बाकी हैं।
© डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद”…