मुक्तक
सपनों को उड़ान चाहिये,
मुठ्ठी भर आसमान चाहिये,
छोड़ दो उँगली पकड़ना,
एक नहीं सारा जहान चाहिये।
© डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद”…
सपनों को उड़ान चाहिये,
मुठ्ठी भर आसमान चाहिये,
छोड़ दो उँगली पकड़ना,
एक नहीं सारा जहान चाहिये।
© डा०निधि श्रीवास्तव “सरोद”…