मुक्तक
1.
समझेंगे् दर्द क्या वो, जिसने सहे नहीं हैं!
जानेंगे् क्या गरीबी, मुफलिस रहे नहीं हैं!
जो छोड़कर मेरा घर, अब दूर जा चुके हैं!
वो हैं हमारे् अपने, दिल से गये नहीं हैं!
2.
तुम चाहे् जो भि पा लो, मुझे् ना भुला सकोगी!
तुम दूर कितना् हो लो, ना दूर जा सकोगी!
तुमने मुझे है् छोड़ा, इस घर को् छोड़ कर के!
तुम तन से् दूर हो लो, दिल से न जा सकोगी!
3.
मंदिर मे् मन के् तुमको, मैंने रखा सजा के!
जो आ सको प्रिये तुम, तो देखो् दिल मे् आके!
कालेज के समय की, मधुरिम नशीली् यादें,
रक्खी है्ं डायरी में, सबकी नज़र छुपा के!
……✍ सत्य कुमार ‘प्रेमी’