मुक्तक
ये समझदारों की दुनिया है नए विश्वास की,
बात से रोटी खिलाती भूखों को ये आस की,
याद रखिये ढल गये न यूँहीं कविता में विचार
हैं जले वर्षों तलक ये आँच पर एहसास की…
ये समझदारों की दुनिया है नए विश्वास की,
बात से रोटी खिलाती भूखों को ये आस की,
याद रखिये ढल गये न यूँहीं कविता में विचार
हैं जले वर्षों तलक ये आँच पर एहसास की…