मुक्तक
मुक्तक
तेरी खामोश नजरों के
मुस्लसल शोर में गुम हूँ!
मोहब्बत तर हसीं लम्हों के
मीठे दौर में गुम हूँ !
मैं जैसी हूँ तू रहने दें
उसी हालात में दिलबर
चांद की रोशनी खातिर
उम्र भर भोर में गुम हूँ !
तेरी तन्हाई भड़ी बिदाई के
बस अब यादों में गुम हूँ।
वो कैसा था अब मैं याद में तेरे
दिन रात सपनों में गुम हूँ।
तेरी जुदाई अब मेरे जीवन के
अब वो एहसास में गुम हूँ।
#किसानपुत्री_शोभा_यादव