मुक्तक
बढ़ रहे दिन रात देखो जुर्म अब परिवेश में।
मुल्जिमों का पक्ष लेते, हैं जो’ नेता वेष में।
राम के भक्तों की’ हत्या, हो रही है अब यहाँ,
घूमते निर्द्वंद्व मुजरिम, आज भारत देश में।
अदम्य
बढ़ रहे दिन रात देखो जुर्म अब परिवेश में।
मुल्जिमों का पक्ष लेते, हैं जो’ नेता वेष में।
राम के भक्तों की’ हत्या, हो रही है अब यहाँ,
घूमते निर्द्वंद्व मुजरिम, आज भारत देश में।
अदम्य