” मुक्तक “
इक नज़र को नज़र से चुराते हो क्यों,
ज़ख़्म अपने जिगर का दिखाते हो क्यों,
चाहतें यूं मोहब्बत की मुश्किल नहीं,
अपनी आंखों से आशूं बहाते हो क्यों।
एस. बी. ” मधुर ”
सोनभद्र, उत्तर प्रदेश
इक नज़र को नज़र से चुराते हो क्यों,
ज़ख़्म अपने जिगर का दिखाते हो क्यों,
चाहतें यूं मोहब्बत की मुश्किल नहीं,
अपनी आंखों से आशूं बहाते हो क्यों।
एस. बी. ” मधुर ”
सोनभद्र, उत्तर प्रदेश