मुक्तक
ज्ञान प्रदायिनी मातु सरस्वती,
श्री बजरंगी वीर को वंदन ।
अखिल जगत के हैं तारणहार जो,
तुलसि के श्री रघुवीर को वंदन।
चित्रकूट के घाट जहां पर,
तुलसी घिसें प्रभु कारन चंदन,
अवधपुरी में पियूष प्रवाहिनि,
पावन सरयू के नीर को वंदन ।१।
सूर के श्याम औ मथुरा के धाम को,
गोकुल के दधि-क्षीर को वंदन ।
श्याम ने लाज बचाने बढ़ाई जो,
द्रौपदी की उस चीर को वंदन।
ग्वालन-बाल लिए संग में,
जहां रास रचावे वो नंद के नंदन,
जहां चढ़े श्रीकृष्ण कदंब पे,
पावन कालिंदी तीर को वंदन ।२।
नवीन जोशी ‘नवल’
बुराड़ी, दिल्ली