मुक्तक
ऊन की सलाईयों सी हो गई जिंदगी
उल्टे-सीधे फंदों में ये खो गई जिंदगी
सारी रात उधेड़ बुन में गुजर जाती है
अपने ही फैसलों पर रो गई जिंदगी
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़
ऊन की सलाईयों सी हो गई जिंदगी
उल्टे-सीधे फंदों में ये खो गई जिंदगी
सारी रात उधेड़ बुन में गुजर जाती है
अपने ही फैसलों पर रो गई जिंदगी
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़