जमीनदार बचपन (मुक्तक)
जीवन के रंगमंच का एक किरदार है बचपन।
थोड़े गम जरा सी खुशी है दोनों का हकदार बचपन।
बैठता जब किसी चौपाल पर सजाकर अपने खेल खिलौने
पूरी कायनात का बन जाता है जमींदार बचपन।
स्वतंत्र गंगाधर।।
जीवन के रंगमंच का एक किरदार है बचपन।
थोड़े गम जरा सी खुशी है दोनों का हकदार बचपन।
बैठता जब किसी चौपाल पर सजाकर अपने खेल खिलौने
पूरी कायनात का बन जाता है जमींदार बचपन।
स्वतंत्र गंगाधर।।