मुक्तक
विधाता छन्द
1222 1222, 1222 1222
मुक्तक
तुम्हारी याद में कोमल, तराने गीत लिखता हूँ।
ह्रदय से आज मैं अपने, पुरानी प्रीत लिखता हूँ।
हमारी लेखनी को जो, सहारा मिल गया तेरा,
प्रणय की हार को भी मैं, हमेशा जीत लिखता हूँ।
अदम्य
विधाता छन्द
1222 1222, 1222 1222
मुक्तक
तुम्हारी याद में कोमल, तराने गीत लिखता हूँ।
ह्रदय से आज मैं अपने, पुरानी प्रीत लिखता हूँ।
हमारी लेखनी को जो, सहारा मिल गया तेरा,
प्रणय की हार को भी मैं, हमेशा जीत लिखता हूँ।
अदम्य