मुक्तक
कुछ कदम तुम बढ़ो कुछ हम बढ़ते हैं
चलो इन फासलों को कुछ कम करते हैं
मोहब्बतों का नया सिलसिला शुरू करके
यह नफरतों की परम्परा अब ख़त्म करते है
कुछ कदम तुम बढ़ो कुछ हम बढ़ते हैं
चलो इन फासलों को कुछ कम करते हैं
मोहब्बतों का नया सिलसिला शुरू करके
यह नफरतों की परम्परा अब ख़त्म करते है