मुक्तक
भले ही बढे अंधेरा पर दीप आस का जला रहे,
शत्रु पर नजर चिंता न हो है मेरी बस दिल हरा रहे।
लिये तमन्ना सीमा पर हूँ खडा मै हिंद का सैनिक,
खुशहाल रहे मेरा देश तिरंगा मेरा बचा रहे।।
–अशोक छाबडा
भले ही बढे अंधेरा पर दीप आस का जला रहे,
शत्रु पर नजर चिंता न हो है मेरी बस दिल हरा रहे।
लिये तमन्ना सीमा पर हूँ खडा मै हिंद का सैनिक,
खुशहाल रहे मेरा देश तिरंगा मेरा बचा रहे।।
–अशोक छाबडा