मुक्तक
दिल ये मेरा झूम उठा है तबियत हुई हरी भरी
आजादी का पर्व आया छलके अमृत की गगरी।
गणतंत्र दिवस कहलाया तिरंगा हम फहरायेगे
गंगाजल- सा पावन मानो दिन ये छब्बीस जनवरी।।
–अशोक छाबडा
दिल ये मेरा झूम उठा है तबियत हुई हरी भरी
आजादी का पर्व आया छलके अमृत की गगरी।
गणतंत्र दिवस कहलाया तिरंगा हम फहरायेगे
गंगाजल- सा पावन मानो दिन ये छब्बीस जनवरी।।
–अशोक छाबडा