मुक्तक
जब भी मैं शाँम की तन्हाइयों में चलता हूँ!
बेकरार पलों की खामोशियों में ढलता हूँ!
दर्द के पायदानों से गुजरती है जिन्दगी,
धीरे-धीरे हसरतों की आग में जलता हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं’
जब भी मैं शाँम की तन्हाइयों में चलता हूँ!
बेकरार पलों की खामोशियों में ढलता हूँ!
दर्द के पायदानों से गुजरती है जिन्दगी,
धीरे-धीरे हसरतों की आग में जलता हूँ!
#महादेव_की_कविताऐं’