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22 Sep 2020 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
212 212 212 212
रात ख्वाबों में वो मुस्कराते रहे ।
मीठे सपने मुझे रात आते रहे।
सुबह पूछे सबब देर में क्यों उठा,
बोला सपने मुझ यूँ लुभाते रहे।

वो मुझे देखकर मुस्कराती रही।
मैं न समझा मुझे वो बुलाती रही।
एक दिन मैंने कहा आपसे प्यार है,
फिर तो नज़रे वो मुझ से चुराती रही।

-अभिनव मिश्र✍️

Language: Hindi
467 Views
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