मुक्तक
ये जीवन आग दरिया ना विखरो तुम जवानी में
ये दिलही दिल सुलगती है बुझे ना आग पानी में
संभल जाओ मेरे कृष्णा जरा सोचो जरा समझो
सभी मिलजुल रहो प्यारेना झगड़ों तुम जवानी में
ये जीवन आग दरिया ना विखरो तुम जवानी में
ये दिलही दिल सुलगती है बुझे ना आग पानी में
संभल जाओ मेरे कृष्णा जरा सोचो जरा समझो
सभी मिलजुल रहो प्यारेना झगड़ों तुम जवानी में