मुक्तक
खुश रहें सब और क्या ही मेरी मिट्टी चाहेगी
मिट्टी उठ कर आखिर मिट्टी को ही तो जाएगी ।
~ सिद्धार्थ
सभी अच्छे ही हो महफ़िल में ये जरूरी तो नहीं
तुम अच्छे हो तकरार नहीं, हम जमाने में सबसे ख़राब निकले!
~ सिद्धार्थ
लिखने वालों से तुम कभी ये मत पूछो
तुम जिसे लिख रहे हो उसे जीते हो क्या ?
~ सिद्धार्थ
जो नज़र में रहें चिराग बन कर, भला कौन उन्हें नज़र अंदाज़ कर पाएगा
अपने ही दिल के धड़कनों को क्या कोई जाहिल अनसुना कर पाएगा ।
~ सिद्धार्थ