Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2020 · 3 min read

मुक्तक

इन्सान खुदा

हमारी भी कुछ हैसियत है क्या
अच्छा! तो हमें क्यों नहीं पता ।
सदियाँ गुजर गयी समझने में
मालिक कौन? इन्सान या खुदा ।
-अजय प्रसाद

सहरा में हूँ नागफनी की तरह
दोस्ती में हूँ दुश्मनी की तरह।
हैसियत की तू हकीकत न पूछ
खुद घर में हूँ अलगनी की तरह।
-अजय प्रसाद
बहस और विवाद ज़रूरी है
हर्ष और विषाद ज़रूरी है।
ताकी खड़ा रहे ज़्म्हुरियत
जनतंत्र की बुनियाद ज़रूरी है ।
-अजय प्रसाद

जैसा हूँ वैसा ही मंजूर कर
वरना अपने आप से दूर कर ।
रहने दे मुझको तू मेरी तरह
तेरी तरहा यूँ मत मजबूर कर ।
-अजय प्रसाद

हम होंगे कामयाब एक दिन
ज़र्रे से आफताब एक दिन ।
जो आज कह रहे हैं नक्कारा
कहेंगे वही नायाब एक दिन ।
-अजय प्रसाद

मुझे वरगलाने की बात करता है
कहीं दिल लगाने की बात करता है ।
लोग यहाँ कितना किफायत करतें हैं
और ‘वो’ सब लूटाने की बात करता है ।
-अजय प्रसाद

शक़्ल में फूलों के खार मिलें
दुश्मनी निभाने को यार मिलें ।
ठोकरों ने है संभाला अक्सर
सबक मुझको हर बार मिलें ।
-अजय प्रसाद

एक दिन गुमनाम ही जहां से गुजर जाऊँगा
ज़िंदगी तेरी नज़रों से जब मैं उतर जाऊँगा ।
कुछ लोग आएंगे मेरी मैयत पे आसूँ बहाने
ओढ़ कफ़न अपने-वजूद से मुकर जाऊँगा ।
-अजय प्रसाद

वादे से मुकरना दुनिया ने सिखाया
आगे से गुजरना दुनिया ने सिखाया ।
कब,कँहा,किससे, कितना और कैसे
मुझे है उबरना दुनिया ने सिखाया ।
-अजय प्रसाद

लिए कांधे पर खुद की लाश ज़िंदा हूँ
ज़िंदगी,मैं तेरी रुसवाई पे शर्मिन्दा हूँ ।
जो कभी किसी का एक जैसा न रहा
उसी वक्त के हाथों पीटा गया कारिंदा हूँ ।
-अजय प्रसाद

अपनी शर्तों पे जिया है और कुछ नहीं
मुझ पे रहमते खुदा है और कुछ नहीं ।
जिंदगी भर बस मुसलसल जद्दोजहद
आंधियों में एक दिया है और कुछ नहीं ।
-अजय प्रसाद

दौलत,शोहरत,तोहफे,तमगे न पुरस्कार चाहिए
बस आप के दिलों में खुद के लिए प्यार चाहिए ।
जो मिले,जब मिले और जैसे जिस हाल में मिले
नज़रों में आदर, अपनापन और सत्कार चाहिए ।
-अजय प्रसाद

उसकी नफरतों से निखर गया
इश्क़ में मैं इस कदर गया ।
मेरी बद हवासी का आलम न पूछ
तवाही की तरफ़ ,खुश हो कर गया ।
-अजय प्रसाद

अपने हिस्से की हम दुनिया दारी रखें
कुछ तो अपने अंदर भी इमानदारी रखें ।
कोसना सरकार को हमेशा ठिक नहीं
जितनी हो सके उतनी ज़िम्मेदारी रखें ।
अगर करतें हैं उम्मीद दूसरों से वफ़ा की
तो उनके लिए भी दिल में वफादारी रखें ।
-अजय प्रसाद
शहर दर शहर है अन्दोलनों का कहर
किसे फ़िक्र,अवाम है परेशां किस कदर ।
तोड़फोड़,आगजनी और हिंसक प्रदर्शन
कौन फैला रहा है ये अशान्ति का ज़हर ।
-अजय प्रसाद

किस कदर आज है मजबूर आदमी
अपनों से भी हो गया है दूर आदमी ।
किसकी खता थी कौन भुगत रहा है
सोंचता है बैठ कर बेकसूर आदमी ।
-अजय प्रसाद
संयम कम और आकांक्षाएँ अपरीमित
लालसाएं असंख्य और साधन सीमित ।
अनियंत्रित जीवन की अनंत प्रतिस्पर्धा
अनवरत संघर्ष है दिनचर्या अनियमित ।
-अजय प्रसाद

वादे से मुकरना दुनिया ने सिखाया
आगे से गुजरना दुनिया ने सिखाया ।
कब,कँहा,किससे, कितना और कैसे
मुझे है उबरना दुनिया ने सिखाया ।
-अजय प्रसाद

तोहमत एक दूजे पे लगाते रहें हैं
धंधा सियासत का चलाते रहें हैं ।
फ़िक्र है अवाम की उन्हें बेहद
खोखले आश्वासन दिलाते रहे हैं
कहीं पत्थर दिल न कोई समझे
घड़ियाली आसूँ वो बहाते रहें हैं
-अजय प्रसाद
होश में आए हैं सब कुछ लूटा कर
पछताए बहुत हम सर पे बिठा कर ।
हमे क्या पता था इस कदर भी होगा
जश्न वो मनाएंगे हमको मिटा कर ।
रास्ते पे थे बैठे हम लगा कर उम्मीदें
बढ़ गए आगे वो ठोकर लगा कर ।
-अजय प्रसाद

अन्धों की बस्ती में आईने बेच रहा हूँ
धूप में बैठकर मैं छाँव सेंक रहा हूँ ।
हाँ ,है तो बेहद मुशिकल काम दोस्तों
पानी में चंद लकीरें मैं खैंच रहा हूँ ।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 441 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सीखने की भूख (Hunger of Learn)
सीखने की भूख (Hunger of Learn)
डॉ. अनिल 'अज्ञात'
//एहसास//
//एहसास//
AVINASH (Avi...) MEHRA
*****रामलला*****
*****रामलला*****
Kavita Chouhan
राजयोग आलस्य का,
राजयोग आलस्य का,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/71.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पुस्तक
पुस्तक
Vedha Singh
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
तेवरी इसलिए तेवरी है [आलेख ] +रमेशराज
कवि रमेशराज
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
पड़ते ही बाहर कदम, जकड़े जिसे जुकाम।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हिंदी शायरी का एंग्री यंग मैन
हिंदी शायरी का एंग्री यंग मैन
Shekhar Chandra Mitra
बात खो गई
बात खो गई
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
माँ
माँ
The_dk_poetry
■ सलामत रहिए
■ सलामत रहिए
*Author प्रणय प्रभात*
मजदूर दिवस पर विशेष
मजदूर दिवस पर विशेष
Harminder Kaur
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
कुछ हासिल करने तक जोश रहता है,
Deepesh सहल
कोई किसी से सुंदरता में नहीं कभी कम होता है
कोई किसी से सुंदरता में नहीं कभी कम होता है
Shweta Soni
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
एक ख्वाब
एक ख्वाब
Ravi Maurya
कॉलेज वाला प्यार
कॉलेज वाला प्यार
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*
*"गुरू पूर्णिमा"*
Shashi kala vyas
पहले कविता जीती है
पहले कविता जीती है
Niki pushkar
Gazal 25
Gazal 25
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हम उलझते रहे हिंदू , मुस्लिम की पहचान में
हम उलझते रहे हिंदू , मुस्लिम की पहचान में
श्याम सिंह बिष्ट
सदविचार
सदविचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Learn to recognize a false alarm
Learn to recognize a false alarm
पूर्वार्थ
रक्तदान
रक्तदान
Neeraj Agarwal
प्रेम की कहानी
प्रेम की कहानी
Er. Sanjay Shrivastava
*चले भक्ति के पथ पर जो, कॉंवरियों का अभिनंदन है (गीत)*
*चले भक्ति के पथ पर जो, कॉंवरियों का अभिनंदन है (गीत)*
Ravi Prakash
पानी से पानी पर लिखना
पानी से पानी पर लिखना
Ramswaroop Dinkar
सारा सिस्टम गलत है
सारा सिस्टम गलत है
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जिस्मानी इश्क
जिस्मानी इश्क
Sanjay ' शून्य'
Loading...