मुक्तक
बात में गर दम हुई तो बात फलक़ तक जाएगी
इक गूंज के साथ बिजलियां उसे मेरे किस्से सुनाएगी
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हम दोनों अलग सही पर एक दूजे का हम हिस्सा हैं
दो अलग अलग दिल का हम एक मुकम्मल किस्सा हैं ।
~ सिद्धार्थ
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रेशमी दुपट्टे के उठने गिरने में उलझी रही तुम्हारी आंखे
तुम्हारे नज़रों को ऐ दोस्त कुछ और भी देखना था
~ सिद्धार्थ