मुक्तक
कोई है पराया कोई अपना सा होता है!
कोई यादों का काफिला सपना सा होता है!
ख्वाबों की तस्वीरें भी तरसाती हैं जिस्म को,
कभी धड़कनों का चलना तड़पना सा होता है!
#महादेव_की_कविताऐं'(27)
कोई है पराया कोई अपना सा होता है!
कोई यादों का काफिला सपना सा होता है!
ख्वाबों की तस्वीरें भी तरसाती हैं जिस्म को,
कभी धड़कनों का चलना तड़पना सा होता है!
#महादेव_की_कविताऐं'(27)