मुक्तक
जीवन में कदम भटक से गए
कुछ जागते हुए सोते ही रह गए
दस्तक तो दी थी समय ने सब को
पर सुनकर भी अनजान से रह गए
अजीत कुमार तलवार
मेरठ
जीवन में कदम भटक से गए
कुछ जागते हुए सोते ही रह गए
दस्तक तो दी थी समय ने सब को
पर सुनकर भी अनजान से रह गए
अजीत कुमार तलवार
मेरठ