मुक्तक
क़िरदार हुआ हल्का जो सनासाई में,
अज़ाब है इतना दुश्वारी है बिनाई में,
दुनिया तेरे क़दमों में और गिरूं कितना,
उबर नहीं पाता हूँ दर्द-ए-तन्हाई में,
सनासाई-परिचय
अज़ाब-समस्या,कष्ट
बिनाई-चुनना
क़िरदार हुआ हल्का जो सनासाई में,
अज़ाब है इतना दुश्वारी है बिनाई में,
दुनिया तेरे क़दमों में और गिरूं कितना,
उबर नहीं पाता हूँ दर्द-ए-तन्हाई में,
सनासाई-परिचय
अज़ाब-समस्या,कष्ट
बिनाई-चुनना