मुक्तक
जो मुझे भूल जाना नहीं चाहता,
मैं भी उसको भुलाना नहीं चाहता,
खुद ही आये अकल वही ठीक है,
बेअकल के मैं गाना नहीं चाहता,
चांद सूरज जमीं पे तो आते नहीं,
मैं गगन में भी जाना नहीं चाहता,
बोलना चाहता हूं सभी की तरह,
हां में हां पर मिलाना नहीं चाहता,
मेरे दिल की जमीं पे वो उतरा अभी,
मैं उसे आज खोना नहीं चाहता।