मुक्तक
इस तरह अब जाँ सताना छोड़ दो।
हर घड़ी ये दिल जलाना छोड़ दो।
मैं न जानूँ ये मनाने की अदा-
रोज़ का तुम रूठ जाना छोड़ दो।
इस तरह अब जाँ सताना छोड़ दो।
हर घड़ी ये दिल जलाना छोड़ दो।
मैं न जानूँ ये मनाने की अदा-
रोज़ का तुम रूठ जाना छोड़ दो।