मुक्तक
सूरज सा नही ढलते तो अच्छा था,
कुछ कदम साथ चलते तो अच्छा था।
हैं उदासियाँ घनी , घना कोहरा भी,
रोशनी में न छलते तो अच्छा था।।
संतोष तनहा
सूरज सा नही ढलते तो अच्छा था,
कुछ कदम साथ चलते तो अच्छा था।
हैं उदासियाँ घनी , घना कोहरा भी,
रोशनी में न छलते तो अच्छा था।।
संतोष तनहा