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28 Apr 2020 · 1 min read

मुक्तक

सूरज सा नही ढलते तो अच्छा था,
कुछ कदम साथ चलते तो अच्छा था।
हैं उदासियाँ घनी , घना कोहरा भी,
रोशनी में न छलते तो अच्छा था।।

संतोष तनहा

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 353 Views
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