मुक्तक
काफ़ी है… लहज़े की ही खूबसूरती
चेहरा खूबसूरत लेकर क्या करोगे
पेचीदा उम्र गुजरेगी जैसे जैसे
हसीन सुर्ख चेहरा सादा ही करोगे
~ सिद्धार्थ
घर से निकल कर तुम घर को ही गए होगे
साहेब के आग्रह में घर पर ही रह गए होगे.
?
~ सिद्धार्थ
काफ़ी है… लहज़े की ही खूबसूरती
चेहरा खूबसूरत लेकर क्या करोगे
पेचीदा उम्र गुजरेगी जैसे जैसे
हसीन सुर्ख चेहरा सादा ही करोगे
~ सिद्धार्थ
घर से निकल कर तुम घर को ही गए होगे
साहेब के आग्रह में घर पर ही रह गए होगे.
?
~ सिद्धार्थ