मुक्तक
जहां तेरा, जहां मेरा, जहां इसका उसका
जहां – जहां जीवन का वजूद है
इश्क हर उस जगह हर हाल में मौजूद है !
~ सिद्धार्थ
बहुत देर भटकने के बाद
तुम्हें छूकर भी न छू पाना
बहुत अखरता है
~ सिद्धार्थ
जहां तेरा, जहां मेरा, जहां इसका उसका
जहां – जहां जीवन का वजूद है
इश्क हर उस जगह हर हाल में मौजूद है !
~ सिद्धार्थ
बहुत देर भटकने के बाद
तुम्हें छूकर भी न छू पाना
बहुत अखरता है
~ सिद्धार्थ