मुक्तक
क्या गजब कि मुझ पे मुहब्बत का इल्ज़ाम है
मैंने सांस भी ली है उस पे मर जाने के बाद
~ पुर्दिल सिद्धार्थ
2.
हर तरफ बेहीसी का आलम है
जिसको देखिए वही पराया है
गिर पड़ा हूँ भूख से चकरा कर के
लोग कहते हैं के पी कर आया है
~ सिद्धार्थ
क्या गजब कि मुझ पे मुहब्बत का इल्ज़ाम है
मैंने सांस भी ली है उस पे मर जाने के बाद
~ पुर्दिल सिद्धार्थ
2.
हर तरफ बेहीसी का आलम है
जिसको देखिए वही पराया है
गिर पड़ा हूँ भूख से चकरा कर के
लोग कहते हैं के पी कर आया है
~ सिद्धार्थ