मुक्तक
कितने मरे हिसाब तुझे दे रहा हूँ
गमगीन आफताब तुझे दे रहा हूँ
जब ग्लानि से हृदय यह तेरा कराहता
पीने को तब शराब तुझे दे रहा हूँ मैं
कितने मरे हिसाब तुझे दे रहा हूँ
गमगीन आफताब तुझे दे रहा हूँ
जब ग्लानि से हृदय यह तेरा कराहता
पीने को तब शराब तुझे दे रहा हूँ मैं