मुक्तक
सीखूँगा अभी से जब तभी तकदीर बदलेंगी ।
कर पाऊँ तभी तो हाथ की ये लकीर बदलेंगी ।।
मुझसे पाठ सीखो न बैठो आज खाली तुम ।
आयेगी सदी जो माँ की हरेक तस्वीर बदलेगी ।।
सजे है साज जीवन के भाते नहीं है मुझको
चली हूँ छोड़ के मैं रास आते नही है मुझको
हुई है जिन्दगी आबाद जो है लाड़ला सबका
कहूँ सच्ची कि ऐसे लोग अब भाते नहीं मुझको