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31 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

मुहब्बत पैरहन बदलती है
कभी इस गली उछलती है
कभी उस गली फुदकती है
मुहब्बत सफ़र पे रहती है
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 395 Views
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