मुक्तक
मेरी जिन्दगी को तन्हाई ढूँढ लेती है!
मेरी हर खुशी को रुसवाई ढूँढ लेती है!
ठहरी हुई हैं मंजिलें अंधेरों में कबसे,
मेरे दर्द को तेरी जुदाई ढूँढ लेती है!
#महादेव_की_कविताऐं’
मेरी जिन्दगी को तन्हाई ढूँढ लेती है!
मेरी हर खुशी को रुसवाई ढूँढ लेती है!
ठहरी हुई हैं मंजिलें अंधेरों में कबसे,
मेरे दर्द को तेरी जुदाई ढूँढ लेती है!
#महादेव_की_कविताऐं’