मुक्तक
जैसे हो शब ये चाँद सितारों सजी हुई।
रोशन यूँ तेरे इश्क़ में ये जिन्दगी हुई।
‘रोली’ नहीं अकेली तलबगार-ए-मोहब्बत,
दोनों तरफ़ है आग बराबर लगी हुई।
✍? ‘रोली’ शुक्ला
जैसे हो शब ये चाँद सितारों सजी हुई।
रोशन यूँ तेरे इश्क़ में ये जिन्दगी हुई।
‘रोली’ नहीं अकेली तलबगार-ए-मोहब्बत,
दोनों तरफ़ है आग बराबर लगी हुई।
✍? ‘रोली’ शुक्ला