मुक्तक
तुम्हें तुम्हारी चालाकियां मारेगी
मुझे मेरी ख़ब्तीगी ही ले डूबेगी
हम दोनों ही मझधार में हैं, हमें तो
जीवन साहिल की धार ही ले डूबेगी
~ पुर्दिल सिद्धार्थ
तुम्हें तुम्हारी चालाकियां मारेगी
मुझे मेरी ख़ब्तीगी ही ले डूबेगी
हम दोनों ही मझधार में हैं, हमें तो
जीवन साहिल की धार ही ले डूबेगी
~ पुर्दिल सिद्धार्थ