मुक्तक
मेरी बात न पूछ हम गहरी अंधेरी रात को भी,
उनके यादों के जुग्नुओ से रौशन कर जाते हैं…
उनकी सुरमई यादों के दामन से लिपट कर
तनहाई को भी गुनगुनाती महफ़िल कर जाते हैं
~ सिद्धार्थ
वो समय ले कर मैं क्या ही करूंगी
जिस समय के दरमियान में प्यार न हो
वो प्यार भला ले कर क्या करूंगी
जो प्यार यार के जानिब का न हो
~ सिद्धार्थ