मुक्तक
बस में नहीं है तकदीर किसी के
कई तरह के रंग है जिन्दगी के
दिल बेचैन हो तो कहीं करार नहीं
ऐसे भी वक्त आते हैं आदमी के
नूरफातिमा खातून” नूरी”
२२/३/२०२०
बस में नहीं है तकदीर किसी के
कई तरह के रंग है जिन्दगी के
दिल बेचैन हो तो कहीं करार नहीं
ऐसे भी वक्त आते हैं आदमी के
नूरफातिमा खातून” नूरी”
२२/३/२०२०