मुक्तक
1.
चाहत समझ का ही तो फेर है,
किसी को कोई समझ आ जाता है
किसी को कोई समझता ही नहीं…
~ पुर्दिल
हम अपनी चुप से तुम्हें मात देंगे
जब हम न होंगे तो
तेरी याद में ही खुद को टांक देंगे
~ सिद्धार्थ
1.
चाहत समझ का ही तो फेर है,
किसी को कोई समझ आ जाता है
किसी को कोई समझता ही नहीं…
~ पुर्दिल
हम अपनी चुप से तुम्हें मात देंगे
जब हम न होंगे तो
तेरी याद में ही खुद को टांक देंगे
~ सिद्धार्थ