मुक्तक
सीने में फकत एक जान पर जान फना कर बैठे हैं
मेरी सुबह के ख्वाब तुम्हें हर ख्वाब बना कर बैठे हैं
यूंतो नाराज खुदा हमसे क्यों सजदा पहले यार का
तुमसे चाहत की सिद्दत देखो रूठे रब को भी मना कर बैठे हैं
सीने में फकत एक जान पर जान फना कर बैठे हैं
मेरी सुबह के ख्वाब तुम्हें हर ख्वाब बना कर बैठे हैं
यूंतो नाराज खुदा हमसे क्यों सजदा पहले यार का
तुमसे चाहत की सिद्दत देखो रूठे रब को भी मना कर बैठे हैं