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12 Mar 2020 · 1 min read

मुक्तक

1.
अभी अभी तो था यहीं पे अभी अभी गुजर गया
ये जो उम्र था न यारा लम्हा लम्हा बिखर गया
जीस्त की आजमाईश में थोड़ा थोड़ा निखर गया
~ सिद्धार्थ
2.
कुछ चुभ जाता है रोज
और दर्द मुझको ढूंढता फिरता है
मैं हंसती रहती हूं, वो पीछा करता रहता है
~ पुर्दिल

Language: Hindi
3 Likes · 198 Views
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