मुक्तक
उम्मीदें थकने नहीं देती
मुहब्बत कहने नहीं देती
~ सिद्धार्थ
2.
शहर की रौनकें गर हमारे दम से हैं
तो बता दे हम इतने क्यूं बेदम से हैं
~ सिद्धार्थ
3.
कब तक करोगे प्यार सहरा को
जलेगा पांव तो जाना छांव ढूंढा करोगे
~ सिद्धार्थ
उम्मीदें थकने नहीं देती
मुहब्बत कहने नहीं देती
~ सिद्धार्थ
2.
शहर की रौनकें गर हमारे दम से हैं
तो बता दे हम इतने क्यूं बेदम से हैं
~ सिद्धार्थ
3.
कब तक करोगे प्यार सहरा को
जलेगा पांव तो जाना छांव ढूंढा करोगे
~ सिद्धार्थ