मुक्तक
मैं तेरे राह से न गुजरी बस तू यूं ही नज़र आ जाता है
हर गली के मोड़ पे जाने क्यूं तेरा ही दर दिख जाता है।
अबके गर मिला जो तू तो… तुझ से पूछा जाएगा
तेरी गर मैं कुछ भी नहीं तो तेरी याद क्यूं मुझे रुलाता है।
तू नहीं तेरी परछाई भी तेरे शहर में नहीं मौजूद
न जाने फिर मुझे तू हर जगह क्यूं दिख जता है।
~ सिद्धार्थ