मुक्तक
लो स्वप्नसमर्पित सभी हमारे सिर्फ़ तुम्हारे वास्ते।
अब हम ही हो गये तुम्हारे सिर्फ़ तुम्हारे वास्ते।
‘रोली’ क्या बतलाये कितनी उलझन थी मन में मेरे,
सब उलझन को रखा किनारे सिर्फ़ तुम्हारे वास्ते।
लो स्वप्नसमर्पित सभी हमारे सिर्फ़ तुम्हारे वास्ते।
अब हम ही हो गये तुम्हारे सिर्फ़ तुम्हारे वास्ते।
‘रोली’ क्या बतलाये कितनी उलझन थी मन में मेरे,
सब उलझन को रखा किनारे सिर्फ़ तुम्हारे वास्ते।