मुक्तक
1.
ये जो कुछ घंटे बचें हैं वो कैसे कटेगा…
विश्व गुरु हुए तो देश शिष्य किस को धरेगा…??
2.
ख्वाहिशों के समंदर में दिसम्बर फिर से डूबने वाला है
एक गली छोड़ के अगली गली में जनवरी से मिलने वाला है,
इस साल को पुराना कर के नया साल फिर से आने वाला है
हमारे हालत साहिबों के रहमों करम से ऐसे ही रहने वाला है
~ सिद्धार्थ
3.
छोड़ो भी … अब मय मयस्सर नहीं मयखाने में
लहू बट रहा है … अजी दीवानखाने के पैमाने में
~ सिद्धार्थ