मुक्तक
भागती दौड़ती जिंदगी हो गई
वक्त की जिंदगी में कमी हो गई
राब्ता भी नही अब किसी से रहा
रिश्तों की डोर बस कागज़ी हो गई।।।
संगीता गोयल
29/12/19
भागती दौड़ती जिंदगी हो गई
वक्त की जिंदगी में कमी हो गई
राब्ता भी नही अब किसी से रहा
रिश्तों की डोर बस कागज़ी हो गई।।।
संगीता गोयल
29/12/19