मुक्तक
क्या हुआ जो लुट गयी है ज़िन्दगानी फिर सही
काम तो आई वतन के ये जवानी फिर सही
फख़्र करता हूँ हमारी हिन्द की है सर ज़मीं
इसकी ख़ुशियाँ हैं तो ख़ुद की शादमानी फिर सही
प्रीतम राठौर भिनगाई
क्या हुआ जो लुट गयी है ज़िन्दगानी फिर सही
काम तो आई वतन के ये जवानी फिर सही
फख़्र करता हूँ हमारी हिन्द की है सर ज़मीं
इसकी ख़ुशियाँ हैं तो ख़ुद की शादमानी फिर सही
प्रीतम राठौर भिनगाई