मुक्तक
1.
सूरज ससुराल जा रहा है…
रात के दामन में मुँह छिपा के रोयेगा
सुबह सबेरे मैके आके अपना ओज बिखेरेगा
…सिद्धार्थ
2.
दम है अगर तो इस नदी को तैर कर पार कर
वर्णा घाट पे रुक, और नाव का इंतजार कर !
~ सिद्धार्थ
3.
जिसकी पंखुड़ियों को न खिलने की सज़ा मिली हो
यार वो फूल खुशबू कहां तक लुटाए जमाने में…
… सिद्धार्थ