मुक्तक
जब कई नदियां मिली वो भी सागर हो गये,
दर्द शब्दो मे सजाकर आज शायर हो गये,
मेरे पैरों से जमीं खींच कर विश्वास की
आज देखो कह रहे मेरे बराबर हो गये,
जब कई नदियां मिली वो भी सागर हो गये,
दर्द शब्दो मे सजाकर आज शायर हो गये,
मेरे पैरों से जमीं खींच कर विश्वास की
आज देखो कह रहे मेरे बराबर हो गये,