मुक्तक
अब तो ये गद्दार हमसे न संभाले जाएंगे,
देश हित के मामले न कल पे टाले जाएंगे,
हम कब तलक सुनते रहें मासूम हैं मासूम हैं
आस्तीनों में न हम से साँप पाले जाएंगे
अब तो ये गद्दार हमसे न संभाले जाएंगे,
देश हित के मामले न कल पे टाले जाएंगे,
हम कब तलक सुनते रहें मासूम हैं मासूम हैं
आस्तीनों में न हम से साँप पाले जाएंगे